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छुटकी बन रही बडकी

रानी बेटी ने किये है, पूरे नौ साल
आओ जानो, आगे कैसे बदलेंगे हाल

तितली बन उडेगी अब पंख पसार
सजेंगे नये रूप गुण, रंग हजार

नन्हा पौधा चला जैसे गगन छूने
देखो लंबी होगी, मम्मी के सामने

पूनम का चंदा आभा फैलाये अपार
चेहरा होगा वैसेही, आयेगा निखार

गोरा चंदा, उसपे काले दाग हजार
तुम भी लेके इतराना, पिंपल्स दो चार

अजनबी से भाव अब लायेंगे तुफान
सोच नयी, ख्याल नये, कल तक के अनजान

कभी गुस्सा, कभी डर, नींदोंसे जाये जाग
कभी खुशी, कभी गम, कभी अनुराग

कभी बोले, कभी डोले, कभी होगी रूआंसी
बिन बात आंसू कभी , यूं ही होठों पे हंसी

नये दोस्त, नयी दिशा, नयी ये राहे
‘छोड बचपन’, बोल रही, फैलाएॅं बाहे

ना ये छोटी, ना ये बडी, इसे कैसे बुलाएॅं?
नाम मिला नया, अब ‘किशोरी’ कहलाएं

बंद कली खुल रही, खूब खिलेगा सुमन
रंगभरे ख्वाब लिये महकेगा तनमन

जान लो सब, स्वागत को हो जाओ तैयार
जश्न नवजीवन का, रखो इसका खयाल

डाॅ. स्वाति घाटे